Thursday, December 22, 2016

MAHABHARAT KI EK KAHANI

                         
                                                                                                                                                                                                               JAB KAURAVON KI SENA PANDAV SE HAR RAHI THI TAB DURYODHAN BHISHMPITAMAH KE PAS GAYA AUR UNHE KAHNE LAGA AAP PURI SHAKTI SE YUDH NAHI LADH RAHE HE. TAB BHISHM PITAMAH KO KAFI GUSSA AAYA.AUR UNHONE TURANT PANCH SONE KE TIR AAPNI MANTR VIDHYA SE PRAKAT KIYE. OUR BOLE KI KAL YUDH ME IN PACHON TIRO SE PACHON PANDAV KA VADH KAR DUNGA. PAR DURYODHAN KO UNPAR VISHWAS NAHI THA. AUR USNE WO PANCHO TIR YAH KAHAKAR MANG LIYE KI AGALI DIN KI SUBAH WO PANCHO TIR UNHE LOTA DENGE. ESKE BAAD KI KAHANI BHI KUCH MAJEDAR HE........


                      FIR JAB BHAGWAN KRUSHNA KO YAH BAAT KA PATA CHALA TO UNHONE ARJUN SE KAHA KI JAKAR DURYODHAN SE PANCHO TIR MANG LO.DURYODHAN KI JAAN TUMNE EK BAAR GANDHARV SE BACHAI THI. TAB USANE KAHA THA KI KOI BHI EK CHIZ TUM MUJHASE APANI JAAN BACHANE KE LIYE MANG SAKTE HO. AB WAQT AA GAYA HE KI TUM WO PANCH SONE KE TIR UNSE MANGALO. ARJUN DURYODHAN KE PAS GAYA OUR WO PANCHO TIR USANE DURYODHAN SE MANGEN.  KSHATRIYAN HONE KE NATE DURYODHAN NE APANA VACHAN PURA KIYA OUR WO PANCHON SONE KE TIR ARJUN KO DE DIYE.
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                        EK PURANI KAHANI

Wednesday, December 21, 2016

SAMAY BAHUT MULYAVAN HOTA HE

       किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही भला था लेकिन उसमें एक दुर्गुण था वह हर काम को टाला करता था। वह मानता था कि जो कुछ होता है भाग्य से होता है।
एक दिन एक साधु उसके पास आया। उस व्यक्ति ने साधु की बहुत सेवा की। उसकी सेवा से खुश होकर साधु ने पारस पत्थर देते हुए कहा - मैं तुम्हारी सेवा से बहुत प्रसन्न हूं। तुम बहुत गरीब हो इसलिये मैं तुम्हे यह पारस पत्थर दे रहा हूं। सात दिन बाद मै इसे तुम्हारे पास से ले जाऊंगा। इस बीच तुम जितना चाहो, उतना सोना बना लेना। उस व्यक्ति ने अपने घर में लोहा तलाश किया। थोड़ा सा लोहा मिला तो उसने उसी का सोना बनाकर बाजार में बेच दिया और कुछ सामान ले आया।
अगले दिन वह लोहा खरीदने के लिए बाजार गया, तो उस समय मंहगा मिला रहा था यह देख कर वह व्यक्ति घर लौट आया। तीन दिन बाद वह फिर बाजार गया तो उसे पता चला कि इस बार और भी महंगा हो गया है। इसलिए वह लोहा बिना खरीदे ही वापस लौट गया। उसने सोचा-एक दिन तो जरुर लोहा सस्ता होगा। जब सस्ता हो जाएगा तभी खरीदेंगे। यह सोचकर उसने लोहा खरीदा ही नहीं।
आठवे दिन साधु पारस लेने के लिए उसके पास आ गए। व्यक्ति ने कहा मेरा तो सारा समय ऐसे ही निकल गया। अभी तो मैं कुछ भी सोना नहीं बना पाया हूं। आप कृपया इस पत्थर को कुछ दिन और मेरे पास रहने दीजिए। लेकिन साधु राजी नहीं हुए। साधु ने कहा तुम्हारे जैसा आदमी जीवन में कुछ नहीं कर सकता। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक पता नहीं क्या-क्या कर चुका होता।
आशय यह है कि जो आदमी समय का उपयोग करना नहीं जानता, वह हमेशा दु:खी रहता है। इतना कहते हुए साधु महाराज पत्थर लेकर चले गए।
शिक्षा - जो व्यक्ति काम को टालता रहता है। समय का सदुपयोग करना नहीं जानता और केवल भाग्य भरोसे रहता है वह हमेशा दुखी ही रहता है।